शनिवार, मार्च 17, 2012

ज़नून

सचिन के शतकीय शतक से बेहोश होकर हम पर ज़नून छा गया! TEAM की हार में दिमाग नहीं है; मेहनत, लगन और एकाग्रता से 100 शतक बने हैं; यह सही है ! घर परिवार, गाँव, राज्य या देश का कोई नागरिक उंचाई पर पहुंचता है, तो ख़ुशी होनी ही चाहिए; वो लता मंगेश्कार हो, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी या फिर धीरुभाई अम्बानी ! पर ज़नून के जोश में इनकी तुलना सरदार भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गाँधी, खान अब्दुल गफ्फार खान गाँधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, किरण बेदी, हेमंत करकरे, TN SHESHAN..., नेल्सन मंडेला, आँग सु, सुन्दरलाल बहुगुणा, या अन्ना हजारे से नहीं की जा सकती; जोश में होश की ज़रूरत होती है,
मुंबई के एक Fly-Over को रुकवाने के लिए, लता मंगेशकर ने हंगामा किया था ! अमिताभ बच्चन सर दर्द की जो गोली बेचते हैं, क्या उन्होंने वो 2 रुपये में कभी खरीदी ? सचिन जो बिस्कुट बेचते हैं, उन्होंने कभी पैसे देकर खरीदा या खाया ? माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा लोक सभा या राज्य सभा के लिए नामांकित किये जाने पर ये विशिष्ट योग्यता वाले संसद में जाने की बजाय; तेल,साबुन, कच्छा, बनियान, powder cream  TOOTH PASTE और आलू-चिप्स बेचने को उत्साहित रहते हैं; एक दिन के लाखों करोड़ों मिल जाते हैं; फिर कम्पनियाँ गरीब जनता से दस गुना वसूल करे, तो इनके बाप का क्या जाता है ? लोक दिखावे को, ये CHARITY -SHOW करते हैं, पर प्रायोजकों से आने-जाने, रहने ठहराने खाने पीने के लाखों रूपये खर्चे तो लिए ही जाते हैं; शिर्डी के साईं हो या बापू आसाराम, धन तो देश और जनता का लूटा जा रहा है! डाकू की लूट और इस लूट में ज्यादा फर्क नहीं है! और सबसे बड़ा फायदा ये, कि इस तरह की हरक़तें भ्रष्टाचार की परिभाषा से बाहर है,

तैर्दत्तानप्रदाधैभ्यो ये भुङ्क्ते स्तेन एव सः !3-12!
देने वाले दाता द्वारा दिए हुए भोगों को जो पुरुष उनको भोग लगाए बिना भोगता है; वह चोर ही है !

देश के सर्वोच्च नागरिक पदक और सम्मान देशभक्तों और मानवता के सेवकों के लिए होते हैं; व्यक्तिगत सामर्थ्यवान लोगों के लिए नहीं !

जय हिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
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