शनिवार, अप्रैल 28, 2012

JANA HAI जाना है

सुबह 6 से 9 बजे का वक़्त कशमकश में बीतता है; इस्लाम के मुताबिक ज़न्नत नशीं होना है; हिन्दू आस्था से परम धाम को जाना है; गुरु-वाणी की लिखत से अकाल-पुरुष की शरण में जाना है; पर जाना तो है; सांसारिक सुख-दुःख; मित्रता-द्वेषता, का क्या अर्थ है ? ध्यान परवरदिगार की तरफ होना ज़रूरी है; फिर ड्रामेबाजी का क्या मतलब ? नहायें न नहायें ? धूप-अगरबत्ती करें न करें ? आरती बोलें न बोलें ? कर्म-कांड ज़रूरी तो नहीं ! ज़रूरी है की ध्यान उसकी तरफ है या नहीं ? 
तृष्णाओं का अंत नहीं है; मृग की मौत निश्चित है ! दुःख का कारण है; इच्छा !!  तो इच्छाओं को रोका क्यों न जाये ? किसी के साथ गुस्से से या विरोध से या प्रतिवाद से बात क्यों की जावे ? ये सब DRAMA करने की क्या ज़रुरत है ?
सांसारिक निर्लिप्तता के मनोभाव 9 बजे के बाद संलिप्तता में बदल  जाते हैं ! फिर रात तक केवल श्रीकृष्ण का सन्देश ही याद रहता है _   
     
योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनजयः

रात को फिर यही ख्याल आता रहता है -
चलने की तैयारी करनी चाहिए; आखिर यहाँ कब तक रुकना पड़ेगा !! 

पर उसके बुलावे से पहले; अपनी मर्ज़ी से जा भी तो नहीं सकते
घल्ले आये नानका सद्दे ही उठ जाना !
ਘੱਲੇ ਆਏ ਨਾਨਕਾ; ਸਦੇ ਹੀ ਉਠਿ ਜਾਣਾ !
जय हिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
 74.2690 E; 29.6095Nhttp://apnyvaani.blogspot.in/2013/11/blog-post.htmlhttp://apnyvaani.blogspot.in/2013/11/blog-post.html

2 टिप्‍पणियां:

  1. From: "Facebook" <update+zrdovrrggo11@facebookmail.com>
    Date: Jan 5, 2013 10:32 PM
    Subject: Gurdeep Chahal commented on your link.
    To: "Ashok Kumar Khatri" <nmlaku@gmail.com>

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    Gurdeep Chahal commented on your link.
    Gurdeep wrote: "STIK V SOLAH ANNE SATYATA...."

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  2. From: "Facebook" <update+zrdovrrggo11@facebookmail.com>
    Date: Jan 5, 2013 10:50 PM
    Subject: Kewal Sarswat commented on your link.
    To: "Ashok Kumar Khatri" <nmlaku@gmail.com>

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    Kewal Sarswat commented on your link.
    Kewal wrote: "Real thing to yahi ha k kisi ka bura na ho ham se bas! Baki agar kuchh bhi kre aapka kahana bilkul sahi ha Sir!"

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