आदरणीय श्रेष्ठजन व साथियो!
आज स्वतन्त्र भारत ने सत्तर वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है! विगत पर नजर दौड़ाएं तो हमारे लोकतन्त्र ने दुनिया के सामने बेहतरीन उदहारण पेश किए हैं! वर्ष 1999 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी का लोकसभा में एक वोट से हारने पर पद त्याग करना, और उसी समय पाकिस्तान में, फौजी जनरल परवेज मुशर्रफ का निर्वाचित प्रधान मन्त्री नवाज शरीफ को जेल में कैद करके सत्ता पर कब्जा करना सर्वविदित है!
विपरीत विचारधारा वाले दल की सरकार का राष्ट्राध्यक्ष होने के बावजूद, निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव दा ने प्रधानमन्त्री को कभी भी परेशानी में डालने का प्रयास नहीं किया! यह लोकतन्त्र की उच्चता है!
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता व जनमत हमारी विशेषता रही है! भूमि अधिग्रहण बिल, कश्मीर में surgical strike, विमुद्रीरकण या फिर वस्तु एवं सेवा कर ! सभी बातों पर भरपूर जनमत प्रकट हुआ है!
लोकतन्त्र के तीनों पहियों विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के साथ साथ चौथे पाए पत्रकारिता ने भी अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभाई है!
"सब अच्छा चल रहा है!"
ऐसा मानकर हम अपने घर में निश्चिंत बैठे रहें!
यह अच्छा नहीं है!
राष्ट्र की उन्नति में जनमत की भावना का परिलक्षित होना भी नीति निर्देशक का कार्य करता है! स्वतन्त्रता दिवस हो, गणतन्त्र दिवस हो या फिर राष्ट्रीय महत्व का कोई अन्य अवसर!
हम सब उसमें सक्रिय भाग लेवें और दूसरों को भी प्रोत्साहित करें! देश के नागरिक 15 अगस्त, 26 जनवरी व 2 अक्तूबर को अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अधिकारी हैं! महान क्रांतिकारी शहीदों को हमारी सच्ची श्रद्धांजली यही है, कि इन पर्वों को सरकारी या औपचारिकता का आवरण छोड़कर जन जन का पर्व बनावे! आप सबसे इसी आह्वान के साथ,
जय हिंद!!
My Location-
https://goo.gl/maps/Sg7BZ91k94N2
आज स्वतन्त्र भारत ने सत्तर वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है! विगत पर नजर दौड़ाएं तो हमारे लोकतन्त्र ने दुनिया के सामने बेहतरीन उदहारण पेश किए हैं! वर्ष 1999 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी का लोकसभा में एक वोट से हारने पर पद त्याग करना, और उसी समय पाकिस्तान में, फौजी जनरल परवेज मुशर्रफ का निर्वाचित प्रधान मन्त्री नवाज शरीफ को जेल में कैद करके सत्ता पर कब्जा करना सर्वविदित है!
विपरीत विचारधारा वाले दल की सरकार का राष्ट्राध्यक्ष होने के बावजूद, निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव दा ने प्रधानमन्त्री को कभी भी परेशानी में डालने का प्रयास नहीं किया! यह लोकतन्त्र की उच्चता है!
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता व जनमत हमारी विशेषता रही है! भूमि अधिग्रहण बिल, कश्मीर में surgical strike, विमुद्रीरकण या फिर वस्तु एवं सेवा कर ! सभी बातों पर भरपूर जनमत प्रकट हुआ है!
लोकतन्त्र के तीनों पहियों विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के साथ साथ चौथे पाए पत्रकारिता ने भी अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभाई है!
"सब अच्छा चल रहा है!"
ऐसा मानकर हम अपने घर में निश्चिंत बैठे रहें!
यह अच्छा नहीं है!
राष्ट्र की उन्नति में जनमत की भावना का परिलक्षित होना भी नीति निर्देशक का कार्य करता है! स्वतन्त्रता दिवस हो, गणतन्त्र दिवस हो या फिर राष्ट्रीय महत्व का कोई अन्य अवसर!
हम सब उसमें सक्रिय भाग लेवें और दूसरों को भी प्रोत्साहित करें! देश के नागरिक 15 अगस्त, 26 जनवरी व 2 अक्तूबर को अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अधिकारी हैं! महान क्रांतिकारी शहीदों को हमारी सच्ची श्रद्धांजली यही है, कि इन पर्वों को सरकारी या औपचारिकता का आवरण छोड़कर जन जन का पर्व बनावे! आप सबसे इसी आह्वान के साथ,
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