CRICKET घोडा मंडी , में बदल गई है . खिलाड़ी बोली पर ख़रीदे हुए गुलाम हैं . वे अपने मालिक के नाम पर दौड़ते हैं . हर चीज़ दाव पर है ; जैसे शकुनी के पासे दुर्योधन के लिए थे . खेल की मर्यादा द्रोपदी है . सब चीर हरण देख रहे हैं . घर , परिवार , संस्कार , समाज , देश , कुछ परवाह नहीं . बस पैसा , प्रायोजक विज्ञापन , CHEER LADY , SMS, TRP, बेहूदा आंकड़ेबाजी और सट्टा .
क्या यही है खेल की परिभाषा ? जरा सोचें !!
ASHOK KUMAR KHATRI; 74.2690 E; 29.6095N at globe APNY KHUNJA, Hanumangarh Junction, 335512
क्रिकेट का अर्थ झींगुर ...किसारी भी होता है...जो घरों में चिक-चिक, चिक -चिक करती रहती है... वैसा ही ये क्रिकेट कर रहा है...देश में .........VINOD YADAV HANUMANGARH
जवाब देंहटाएंधर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) की स्थापना करना ।
हटाएंव्यक्तिगत (निजी) धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।
सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । ईश्वर या स्थिर बुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।
धर्म संकट- जब सत्य और न्याय में विरोधाभास होता है, उस स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस परिस्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।
धर्म को अपनाया नहीं जाता, धर्म का पालन किया जाता है ।
धर्म के विरुद्ध किया गया कर्म, अधर्म होता है ।
व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -
राजधर्म, राष्ट्रधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म, इत्यादि ।
धर्म सनातन है भगवान शिव (त्रिदेव) से लेकर इस क्षण तक ।
शिव (त्रिदेव) है तभी तो धर्म व उपासना है ।
राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों के हिसाब से किया जाता है ।
कृपया इस ज्ञान को सर्वत्र फैलावें । by- kpopsbjri
वर्तमान युग में पूर्ण रूप से धर्म के मार्ग पर चलना किसी भी आम मनुष्य के लिए कठिन कार्य है । इसलिए मनुष्य को सदाचार एवं मानवीय मूल्यों के साथ जीना चाहिए एवं मानव कल्याण के बारे सोचना चाहिए । इस युग में यही बेहतर है ।
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