कल मुकेश जी की याद में
सावन का सुहाना सफर गाता हुआ
भानियावाला से डोईवाला
पैदल ही आ रहा था
सोंग नदी तक पहुँचते पहुँचते
घनघोर घटाओं ने
मुझे लङकपन लौटा दिया
एक शिलाखण्ड पर बैठ कर
एक जलधारा से अठखेलियां करने लगा
बीच धार डूबते तैरते
एक युवक ने मुझे मदद के लिए पुकारा
मैने कहा-
पांच सौ रूपये लूंगा
उसने बहते-बहते दोनो बांहे मेरी ओर फैलाईं
मै और भी दृढ हो गया
पांच सौ तो लूंगा ही
मेरी ओर ताकते ताकते
उसकी कातर दृष्टि
लहरों मे लीन हो गई
तब से
मै गमगीन हूं
पूरे पांच सौ डूब गये
अब
उम्मेद अस्पताल मे
बे ईलाज मरते मरीजों की खबरों ने
मेरे दिल को दिलासा दिया है
बेचारे
डाक्टरों के लाखों डूब गये
मेरे तो पांच सौ ही थे
आओ
हम सब मिलकर उनकी और इनकी
सदगति के लिए
प्राथॅना करें
JAIHIND जयहिन्द
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From: Neeraj Thapa
जवाब देंहटाएंDate: Sun, 20 May 2012 17:26:44 -0700
Neeraj Thapa commented on your post in PUBLIC INTER COLLEGE, DOIWALA.
how tragic!