मनु की वर्ण व्यवस्था में चारों वर्णों में कर्म के आधार पर ब्राह्मण पहले तथा क्षत्रिय दूसरे स्थान पर थे. वेद पढना पढ़ाना और समाज को सही गलत के निर्देश देना ब्राह्मणों के; तथा राज्य, सेना व् युद्ध संचालन करते हुए कमज़ोर व् पीड़ित की रक्षा करना, क्षत्रियों के कर्तव्य थे, कालान्तर में क्षत्रियों के ही कुछ समुदायों ने भाषा के उच्चारण दोष से तद्भव रूप में खत्री
शब्द स्वीकार किया. परशुराम जी द्वारा २१ बार क्षत्रियो का संहार करना, और सीता स्वम्बर के अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम चन्द्र जी व् उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी द्वारा उन्हें शांत करना सुविख्यात घटना है; इसी क्रम में सारस्वत ब्राह्मणों द्वारा परशुराम जी से क्षत्रियों के प्रति क्षमा की प्रार्थना करना परशुरामजी द्वारा क्षमा दान देते हुए सारस्वतो को निर्देशित करना कि अब के बाद इन्हें युद्ध कला की बजाय व्यापर कला कौशल की शिक्षा देवें, इसके साथ ही ये वरदान भी दिया कि खत्री इन कार्यो में पारंगत होंगे. उसके बाद खत्रियो के व्यवसाय में परिवर्तन होता चला गया. ऐसा घटना क्रम भविष्य पुराण अध्याय 40 व् 41 में वर्णित है.
क्षत्रियो में से, जो राजपरिवार थे वे राजपुत्र कहलाये, और कालांतर में अपभ्रष होकर राजपूत बन गए.
शब्द स्वीकार किया. परशुराम जी द्वारा २१ बार क्षत्रियो का संहार करना, और सीता स्वम्बर के अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम चन्द्र जी व् उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी द्वारा उन्हें शांत करना सुविख्यात घटना है; इसी क्रम में सारस्वत ब्राह्मणों द्वारा परशुराम जी से क्षत्रियों के प्रति क्षमा की प्रार्थना करना परशुरामजी द्वारा क्षमा दान देते हुए सारस्वतो को निर्देशित करना कि अब के बाद इन्हें युद्ध कला की बजाय व्यापर कला कौशल की शिक्षा देवें, इसके साथ ही ये वरदान भी दिया कि खत्री इन कार्यो में पारंगत होंगे. उसके बाद खत्रियो के व्यवसाय में परिवर्तन होता चला गया. ऐसा घटना क्रम भविष्य पुराण अध्याय 40 व् 41 में वर्णित है.
क्षत्रियो में से, जो राजपरिवार थे वे राजपुत्र कहलाये, और कालांतर में अपभ्रष होकर राजपूत बन गए.
श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने ग्रन्थ विचार नानक में लिखा है सब खत्री सूर्य वंश के हैं राजा रामचंद्र जी के बेटे लव ने लाहौर बसाया कुश ने कसूर बसाया. दोनों शहर अब पाकिस्तान में हैं. कालांतर में लव का पुत्र कालराय वनवास में सनोध नामक स्थान पर चला गया उसका लड़का सोधीराय हुआ, जिस से सोढ़ी वंश चला .
कुश के वंशज विद्या अध्ययन के लिए बनारस चले गए , वेद अध्ययन करने पर ये वेदी और कालांतर में बेदी कहलाये. आज भी खत्रियों में बेदी घराने को गद्दी प्राप्त है; और वे गुरु कहलाते हैं . श्री गुरु नानकदेव जी बेदी तथा गोविन्द सिंह जी सोढ़ी खानदान से हुए हैं.
श्री मोतीलाल सेठ ने १९०५ में हिंदी व् उर्दू में खत्रियो के बारे में लिखा. 1901
की जनगणना में खत्रियों को वैश्यों से अलग किया गया . TRIBES & CUSTOMS OF NORTH EAST PROVINCE & AVADH के सरकारी गजट 1882 में लिखा _ "यह दूसरी विशुद्ध जाति सैनिक एवं राजाओं की " बोद्ध काल में खत्तिय शब्द का प्रयोग हुआ. ईसा की दूसरी शताब्दी में सबसे पहले खत्रियों का उल्लेख भूगोल वेत्ता टालमी ने किया था. १४६९ ईसवी में गुरु नानक जी का प्रादुर्भाव हुआ. औरंगजेब के काल तक खत्री सैनिक वेशभूषा में रहे .
५५७ ईसा पूर्व महात्मा बुद्ध के प्रभाव से वैदिक अवैदिक अन्य खत्री तीन शाखाओं में बंटे. ६०० ई पु शंकराचार्य के प्रभाव से वैदिक खत्री अपने पुरोहित सारस्वत ब्राह्मणों के साथ पंजाब में आये. अवैदिक खत्री बिहार और उत्तर प्रदेश में ही बस गए.अन्य खत्री जो अपने आप को आर्यों से अलग अनार्य मानते थे, राजस्थान गुजरात की और बस गए. हर्षवर्धन और अकबर के दरबार में खत्रियो का बोलबाला रहा है, भारत में राजा टोडरमल ने भूमि कि पहली हदबंदी करवाई थी, उस ज़माने कि शाह्ज़हानी ज़रीब आज भी भू प्रबंध के लिए इस्तेमाल की जाती है.
इतिहास का ये सर्व विदित कटु सत्य है कि, अकबर के काल में धार्मिक सहिष्णुता के नाम पर और औरंगजेब के काल में उत्पीडन से अधिकांश हिन्दुओं ने इस्लाम में दीक्षा ली. मुस्लमान खत्री १६ वीं शताब्दी के आस पास गुजरात कच्छ मुल्तान शाहपुर के इलाकों में बसे. इनके विवाह शादी व् अन्य रीति रिवाज़ आज भी हिन्दू खत्रियो से मिलते हैं. ऐसा भी वर्णन है की लव के वंशज लवपुर व् कुश के वंशज ने विन्ध्य प्रदेश में कुशावती बसाया; और ऐसा माना जाता है कि राजस्थान का उदयपुर राजघराना लव वंश से और जोधपुर राजघराना कुश वंश से हैं.
अल्लाउद्दीन खिलज़ी के समय तक खत्रियों में विधवा विवाह नहीं थे. उस समय विधवा विवाह को लेकर खत्री विरोध और समर्थन के अलग अलग खेमों में बाँट गए; और ढाई घर; खुखरान, बंजाई, लहोरिये, आगरेवाले आदि धडों में बाँट गए. ऐसा न्यायविद भगवती प्रसाद बेरी ने लिखा है.
अल्लाउद्दीन खिलज़ी के समय तक खत्रियों में विधवा विवाह नहीं थे. उस समय विधवा विवाह को लेकर खत्री विरोध और समर्थन के अलग अलग खेमों में बाँट गए; और ढाई घर; खुखरान, बंजाई, लहोरिये, आगरेवाले आदि धडों में बाँट गए. ऐसा न्यायविद भगवती प्रसाद बेरी ने लिखा है.
सूर्य वंशी, सोम वंशी और अग्निवंशी में से पंजाब में आने वाले सभी आर्य खत्री सूर्यवंशी थे. हर खत्री का वैदिक गौत्र होता है. ये शक्ति के उपासक और नवरात्रों में मां दुर्गा की अष्टमी पूजन करते हैं. अग्नि होत्र करते है, और अपने पुरोहित को मानते हैं. शादी में लड़का तलवार रखता है, बच्चे के जन्म पर पांचवे दिन प्रसूता स्नान व् बच्चे को घर से बाहर निकलते हैं. तेरहवें दिन गौ मूत्र, गोबर व् गंगाजल से घर की शुद्धि तथा नामकरण किया जाता है. मृत्यु पर बड़ा पुत्र मुंडन करवाकर किर्याकर्म करवाता है, पातक 12 दिन होता है. लड़के के ससुराल वाले या मामा पगड़ी बंधवाते हैं. दिन वार ठीक न होने पर शुभ व् दैवकार्य बढ़त में व् दुःख व् पितृकार्य घटत में करते हैं.देवकार्य अथवा श्राद्ध पक्ष में दौहित्र /दौहित्री को ब्राह्मणों के बराबर का दर्ज़ा मिलता है. नागौरी खत्री भैरों को मानते हैं राजस्थान में नागौर जिला मुख्यालय से ४० किलोमीटर दक्षिण पूर्व कुचेरा क़स्बे में इनका शक्ति स्थल है. हमारे गौरवशाली इतिहास में राजा पौरस, महाराजा रणजीत सिंह , राजा टोडरमल, बटुकनाथ मेहता, लाला लाजपतराय , पृथ्वीराज कपूर, कुंदनलाल सहगल, जोहरा बाई अम्बाले वाली, captain लक्ष्मी सहगल, बलराज साहनी, स्वामी श्रद्धानंद, बाबा मलूकदास, राज ऋषि पुरुषोत्तम दास टंडन, आचार्य नारेन्द्र देव,लाला जगतनारायण,किरण बेदी और सर्वोपरि श्री गुरुनानक देव जी से लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी तक दस गुरु हैं, इन सब से प्रेरणा लेकर हम भूल सुधार करें और मार्गदर्शन प्राप्त कर अच्छे समाज का निर्माण करें.
हम ईश्वर का आश्रय लेकर अपना काम करें, गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है
- प्रबिसिहिं नगर कीजै सब काजा, ह्रदयहिं राखी कौसलपुर राजा!!
पीड़ित और लाचार के प्रति सहिष्णुता रखें -
नानक नीवां जो चले, लागे न तत्ति वा !!
हम अच्छा सोचें ! अच्छा करें !! अच्छा बनें !!!!
समाज की दुर्गन्ध को दूर कर, सुगंध फैलाएं !!!!
जय हिंद
Location at Globe 74.2690 E; 29.6095N
ऐतिहासिक जानकारी से अवगत करवाया ..बहुत ही अच्छा लगा ..थैंक्स .
जवाब देंहटाएंthis type of information is rare to find out & it's really essential to know for each khatri member...
जवाब देंहटाएंDinesh Mehan
thanks for very needly information masad ji
जवाब देंहटाएंFrom: Ashish Sawhney
जवाब देंहटाएंDate: Fri, 25 Nov 2011 22:05:06 -0800
Ashish Sawhney commented on your post.
Very true
From: Rohit Puri
जवाब देंहटाएंDate: Sun, 18 Dec 2011 04:02:11 -0800
Rohit Puri commented
Thank u sir